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दुःख सुख स्त्री एक स्त्री के भीतर कहीं दूर तक अपना सुरंग रचती चली आ रही है जाने कितनी पीढ़ियों से" (इसी कविता से) ऋतु वसन्त आ रही है याद तुम्हारी रही है किसी कोण किसी दिशा से देखो पूरी दिखती है नदी। (इसी कविता से) world poetry day वह स्त्री है स्त्री के जीवन के विशेष पहलू स्त्री दूर ख्यालों से

Hindi स्त्री एक स्त्री के भीतर कहीं दूर तक अपना सुरंग रचती चली आ रही है जाने कितनी पीढ़ियों से"(इसी कविता से) Poems