दुःख और सुख की यह आँखमिचौली एक स्त्री के भीतर कहीं दूर तक अपना सुरंग रचती चली आ रही है जाने कितनी... दुःख और सुख की यह आँखमिचौली एक स्त्री के भीतर कहीं दूर तक अपना सुरंग रचती चली ...
सरसों के खेत से भीनी भीनी महक आ रही है प्रकृति पीत वर्ण मे नवयौवना नज़र आ रही है, सरसों के खेत से भीनी भीनी महक आ रही है प्रकृति पीत वर्ण मे नवयौवना नज़र आ रही...
रात दिन दिल को सताये अब यही मंजिलें आज़म मिली बेहतर नहीं। रात दिन दिल को सताये अब यही मंजिलें आज़म मिली बेहतर नहीं।
किसी कोण किसी दिशा से देखो पूरी दिखती है नदी। किसी कोण किसी दिशा से देखो पूरी दिखती है नदी।
सदा, सर्वदा सुमंगलकारिणी। नारी तू नारायणी। सदा, सर्वदा सुमंगलकारिणी। नारी तू नारायणी।
कभी-कभी मेरा हाथ थामे साथ चलते-चलते तुम्हारी निगाह कहीं शून्य में अटक जाती है। कभी-कभी मेरा हाथ थामे साथ चलते-चलते तुम्हारी निगाह कहीं शून्य में...